नई सुबह > आदिवासी गांवों में धूमधाम से मनाया गया गणेश महोत्सब 



शिवपुरी। पूरे जिले में प्रतिबर्ष की भांति  इस बर्ष  भी गणेशोत्सब धूमधाम से मनाया गया लेकिन इस बार जो बात सबसे सबसेसबसे अलग नजर आई वह थी आदिवासियों द्वारा 109 से अधिक गांवों में गणेश प्रतिमा  स्थापित कर गणेश महोत्सव मनाना। सहरिया क्रांति की पहल पर सहरिया आदिवासियों द्वारा विगत बर्षों से ही धार्मिक उत्सव मनाने का दौर चल पड़ा है और साल दर साल आदिवासियों की रूचि इनके आयोजनों में बढ़ती ही जा रही है  ।  9 दिन की पूजा अर्चना के बाद आदिवासियों ने आसपास स्थित जलाशयों में  में गणेश की प्रतिमाओं का विर्सजन किया गया। इस दौरान जगह-जगह स्वागत किया गया। विदाई के समय बैंडबाजों पर आदिवासी थिरकते हुए नजर आए। शहर में भी कई स्थानों पर शोभायात्रा निकली। इनका स्वागत किया गया। जयकारों का दौर चला। साथ शहर की सड़कों पर गुलाल भी उड़ाया गया।
वैसे तो जिले में प्रति बर्ष गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस बार जो बात  ख़ास थी वः थी आदिवासी गांवों में सहरिया आदिवासियों द्वारा श्री गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित करना।  शिबपुरी के ग्राम ड़बिया ,खुटेला ,वीरपुर , दादोल मझेरा , विनेगा और कोटा सहित 109 गांवों में सहरिया क्रांति से जुड़े आदिवासियों ने गणेश जी की स्थापना कर 9 दिन तक गणेश महोत्सब धूमधाम से मनाया गया।  इस दौरान गांवों में प्रतिदिन सुबह शाम श्री गणेश जी की आरती में सभी आदिवासी सम्मलित होते थे वहीं उसके बाद ाकत्रित होकर समाजोत्थान की चर्चा प्रारम्भ करते , समाज को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने हेतु सहरिया क्रांति सामाजिक अभियान जोरों से चलने आपसी विचार विमर्श भी गांव- गांव में हुआ 

 नौ दिन तक गणपति जी दरबार में कार्यक्रम हुए। विसर्जन से पहले  हर सहराने से भव्य गणेश यात्रा निकाली गई।  मंगलवार को बड़ी संख्या में आदिवासी जन अपने गांवों के पास स्थित जलाशयों में  गणेश जी को विसर्जन के लिए ले गए। यहां प्रसाद वितरण भी हुआ। प्रथम पूज्य गणेश जी से सर्वकल्याण की कामना के साथ अगले वर्ष जल्दी आने की कामना की गई। पूरे रास्ते  पुष्प, अबीर गुलाल से से उत्स्व देखते ही बनता था । भक्ति संगीत की मधुर ध्वनि और गुलाल वर्षा के बीच भक्त खूब थिरके। 

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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